कश्यप समाज के राजवंशी इतिहास की नगरी हरदोई, जिसको कभी हरि-द्रोही नगरी भी कहा जाता था
17 सितंबर 2018
हरदोई : उत्तर प्रदेश के जिला हरदोई का इतिहास कश्यप समाज के लिए अत्यंत ही महत्वपूर्ण है कहा जाता है की प्रह्लाद के पिता हिरण्यकश्यप यहां के राजा हुआ करते थे तथा वह भगवान विष्णु के कट्टर विरोधी थे तथा उनके राज्य में देवी देवताओं के पूजा पाठ पर मनाही थी राजा का आदेश था की उनके राज्य में केवल उन्हीं की पूजा होनी चाहिए ना की किसी देवी देवता की पूजा होनी चाहिए
लेकिन उन्हीं का बेटा प्रहलाद भगवान विष्णु का सबसे बड़ा भक्त निकला जिसने अपने पिता के प्रति विद्रोह कर दिया तथा बार-बार मना करने के बावजूद वह भगवान विष्णु की आराधना किया करता था
बार बार मना करने पर जब प्रह्लाद ने अपना हठ नही छोड़ा तो इसके बाद हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को समाप्त करने का निश्चय कर लिया तथा उसने तरह-तरह से प्रहलाद को मारने की कोशिश की लेकिन वह अपने प्रयास में सफल नहीं हो सका
एक दिन उसने अपनी बहन होलिका को बुलाया तथा प्रहलाद को समाप्त करने के लिए एक चाल चली और लकड़ियों का ढेर तैयार करके उस पर होलिका को बैठा दिया तथा होलिका की गोद में प्रहलाद को बैठा दिया तत्पश्चात उस लकड़ी के ढेर में आग लगा दी गई इस आदमी होलिका जल गई लेकिन प्रह्लाद का बाल भी बांका नहीं हुआ । होलिका जहाँ जली थी वो कुंड आज भी श्रवणदेवी स्थल पर मौजूद है इसे ही प्रह्लाद कुंड कहते है ।
इतने उपाय करने के बाद भी जब हिरण कश्यप और प्रहलाद को समाप्त नहीं कर सका तो उसने गरम खंभे से बांधकर प्रहलाद को मारना चाहा पुराण कहते हैं कि उस समय प्रह्लाद ने श्री हरि नारायण विष्णु का स्मरण किया तथा भगवान विष्णु ने नरसिंह रूप में अवतरित होकर हिरण्यकश्यप का वध कर दिया कहते है कि हिरण्यकश्यप की मृत्यु बिहार के पूर्णिया जिले के बनमनखी प्रखंड के जानकी नगर के पास धरेहरा में हुआ था आज भी इसके प्रमाण यहाँ मौजूद है प्रतिवर्ष यहाँ लाखो लोग होलिका दहन में भाग लेने आते है ।
इस कहानी के अवशेष हमारी ऐतिहासिक नगरी हरदोई में आज भी बिखरे पड़े हैं जहां सरकार की तरफ से कोई देखभाल नहीं है पुरातत्व विभाग भी नदारद है कश्यप समाज के लिए हिरण्यकश्यप का इतिहास अत्यंत ही महत्वपूर्ण माना जाता है हरदोई जिले में हिरण्यकश्यप के महल के अवशेष आज भी मौजूद हैं तथा प्रह्लाद घाट भी मौजूद है जो प्रहलाद के नाम से बनाया गया था इसके अलावा गुड़िया मंदिर भी है जो गुड़िया समाज ने बनवाया है
हरदोई जिले में इतिहास के कई ऐसे प्रमाण मिलते हैं जो हिरण्यकश्यप के इतिहास को सच साबित करते हैं आइए आपको बताते हैं कि हरदोई का नाम हरदोई कैसे पड़ा कहते हैं की यहां का राजा हिरण्यकश्यप भगवान विष्णु का कट्टर विद्रोही था इसलिए उसको हरि-द्रोही कहा जाता था जिसके नाम पर इस जिले का नाम हरि-द्रोही रखा गया था जो बाद में हरदोई के नाम से विख्यात हुआ ।
हिरण कश्यप का इतिहास कश्यप समाज को सीधे राजवंश से जोड़ता है और यह पता चलता है कि हमारे पूर्वज इस पृथ्वी पर कभी राज किया करते थे जिन का इतिहास प्रशासन की अनदेखी के चलते कहीं गुम हो गया है हरदोई में कश्यप समाज की धरोहर हिरण्यकश्यप के अवशेषों को संजोना चाहिए तथा हरदोई में टूरिस्ट प्लेस का निर्माण करना चाहिए जिससे दुनिया को कश्यप समाज का इतिहास पता चल सके तथा लोग यह जान सके समाज का इतिहास एक राजवंश से जुड़ा हुआ है
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