सजना है मुझे सजना कि लिए, बाजारों मे दिखी जोरों पर भीड़

25 अक्टूबर 2018
रिपोर्ट ;- *मोहित बाथम* कानपुर देहात ब्यूरो।
*श्रगांर संग पूजन की जमकर तैयारियां*
करवाचौथ की तैयारियों में आई तेजी, सुहागिनों में ख़ुशी की लहर
सुहाग के प्रतीक पर्व करवा चौथ व्रत की तैयारी हर घर में जारी है। इस क्रम में बुधवार को खरीदारी के लिए महिलाओं की भीड़ बाजारों में उमड़ पड़ी। पूरा बाजार महिलाओं व बच्चों से भरा था। महिलाओं व बच्चों से भरा था। इसके चलते अकबरपुर, रनियां, रायपुर, मुंगीसापुर, बरौर, भोगनीपुर, पुखरांया, लालपुर, नबीपुर, डेरापुर, गलुआपुर, चिलौली, भटौली, रुरा, शिवली, रसूलाबाद, झीझंक, मंगलपुर, संदलपुर, सिंकदरा आदि क्षेत्रों में जाम की स्थिति नजर आने लगी।
कार्तिक कृष्ण चतुर्थी को करवा चौथ का पर्व मनाया जाता है। इस दिन सुहागिन दिन भर व्रत रखने के बाद शाम को चंद्रोदय होने पर पति का दर्शन कर व्रत तोड़ती हैं। इस पर्व को लेकर कई किवदंतिया भी प्रचलित हैं। हिंदी फिल्मों ने इस पर्व के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस दिन विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाकर महिलाएं सपरिवार पूजा करती हैं। वैसे तो पर्व के लिए सभी तैयारी पहले से ही की जाती है बुधवार को महिलाएं सपरिवार बाजार करने निकलीं। मनपसंद साड़ी व आभूषणों की भी खरीदारी हुई। बाजारों मे देर रात तक चहल-पहल बनी रही।

*करवा व चलनी की मांग*

आम तौर पर चलनी का प्रचलन नहीं है लेकिन पहली बार व्रत करने वाली नव विवाहिताएं पति के दर्शन के लिए चलनी का ही प्रयोग करती हैं। फिल्मों में ऐसा ही दिखाया जाता है। मिट्टी का करवा परंपरागत साधन है। बिना उसके पूजा होती ही नहीं। उसकी खरीदारी सभी ने की। जिनकी जैसी मान्यता रही उसके अनुसार बहुत सी महिलाओं ने सोने व चांदी के करवा की भी खरीदारी करती है।। आमतौर पर इस पर्व पर महिलाएं सोलहों श्रृंगार कर पूजन करती हैं। इसलिए सजने संवरने के लिए ब्यूटी पार्लरों में भी भीड़ देखने को मिलती है।
भारतीय धर्म शास्त्रों में सुहागिनों का त्योहार सबसे खास करवाचौथ माना जाता है। यह त्योहार केवल महिलाओं के त्याग समर्पण या प्रेम की अभिव्यक्ति ही करता है पुरुों के प्रति उनके द्वारा किए जाने वाले सम्मान का भी द्योतक है। करवाचौथ पूरे भारत में सुहागिन हिंदू महिलओं द्वारा एक मुख्य त्योहार है। इस महिलांए अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए सुबह से रात को चांद देखने तक निर्जल व्रत रखती है। बताते चले कि कानपुर देहात में भी करवाचौथ की धूम मची है। कस्बे के अंदर विभिन्न स्थानों पर करवे बेचने का काम शुरु हो चुका है। इस त्योहार ने कुम्हार के रोजगार में तेजी ला दी। अकबरपुर, रनियां, रायपुर, मुंगीसापुर, बरौर, भोगनीपुर, पुखरांया, लालपुर, नबीपुर, डेरापुर, गलुआपुर, चिलौली, भटौली, रुरा, शिवली, रसूलाबाद, झीझंक, मंगलपुर, संदलपुर, सिंकदरा कस्बों में दुकानें सजने लगी है और जनपद में सुहागिन महिलाओं खरीददारी में जुट गई है। संवाददाता ने जब सुहागिन महिलओं व उनके पतियों से बात की तो उन्होंने बताया कि पति की लंबी आयु के लिए यह व्रत रखा जाता है हम लोग इस त्योहार को बड़े र्हाल्लास के मनाते है। इस बार भी हम लोग बड़े र्हाल्लास व पूरे विधि विधान के साथ मनाएंगे। सुहागिन महिलओं ने बताया कि करवाचौथ व्रत के दौरान हम लोग निर्जला व्रत रखती है वही कई सुहागिन महिलाओं के पतियों ने बताया कि इस बार हम लोग अपने पत्नीयों के साथ मिलकर इस त्योहार को बड़े ही धूमधाम से मनांएगें।

*बढ़ती मांग को देख बनने लगे करवे व दियाली*; -

27 अक्टूबर को करवाचौथ व 7 नंवबर को दिवाली का त्योहारो में धूम मचाने को तैयारियां शुरु हो गई हैं। करवाचौथ पर करवा की मांग को देख कुम्हारों ने करवों को बनाने, रगांई व सजावाट में तेजी पकड़ी हुई है। दिवाली के लिए मिट्टी के दीपक(दियाली) तैयार कर भंडारण किए जा रहे है। करवाचौथ व दिवाली का त्योहार नजदीक देख जनपद के अकबरपुर, रनियां, रायपुर, मुंगीसापुर, बरौर, भोगनीपुर, पुखरांया, लालपुर, नबीपुर, डेरापुर, गलुआपुर, चिलौली, भटौली, रुरा, शिवली, रसूलाबाद, झीझंक, मंगलपुर, संदलपुर, सिंकदरा कस्बों में कुम्हारों में करवा व दियाली बनाने को लेकर तैयारियां युद्ध स्तर में शुरु हो गई है। अकबरपुर के करन, रामबाबू, रुरा के करीबे व पप्पू प्रजापति ने बताया कि संपन्न घरानों में तांबे व फूल धातू के करवा का प्रचलन बढ़ने के बाद भी मिट्टी के करवों को अभी भी प्राथमिकता दी जा रही है। अकबरपुर के रामबाबू व सीमा बुधवार को मिट्टी के करवे व दियाली बनाने में मागूल दिखे। युवा गौरव टीम ने जब रामबाबू से जानकारी ली तो उन्होंने बताया कि पूजन में मिट्टी के करवों व दियाली का महत्व बरकरार रहने से इनकी मांग ठीक-ठाक रहती है। यह हमारा पुस्तैनी धंधा है लेकिन नगरीय क्षेत्रों में मिट्टी कि उपलब्धता कम होने से बाहर मंहगी कीमत पर मिट्टी मगानी पढ़ती है।

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