संजीव कश्यप हत्याकांड में न्याय को लेकर पीड़ित परिवार की मांगों व सिफारिशों को योगीसरकार ने कर दिया दरकिनार,भाजपा में मौजूद कश्यप नेता बने रहे तमाशबीन
मैनपुरी : 6 महीने पूर्व हुए मैनपुरी के बहुचर्चित संजीव कश्यप हत्याकांड मैं किस प्रकार योगी सरकार द्वारा अनदेखी की गई? मामले को दबाया गया ।
प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार मृतक संजीव कश्यप के मामले में योगी सरकार ने सभी मांग पत्र को तथा सिफारिशों को दरकिनार करते हुए पीड़ित परिवार की किसी भी प्रकार से आर्थिक सहायता नहीं की पहले पीड़ित परिवार की महिला शीला देवी जो की मृतक संजीव कश्यप की पत्नी है उन्होंने योगी सरकार को मांगपत्र भेजा जिसमे उन्होंने योगी सरकार के समक्ष निम्नलिखित मांगे रक्खी ।
- राज्य सरकार द्वारा 50 लाख रूपए का आर्थिक अनुदान दिया जाये
-राष्ट्रिय पारिवारिक लाभ योजना के अंतर्गत विधवा पेंशन
-परिवार के किसी एक सदस्य को सरकारी नौकरी
-ग्राम नगला रते के पास तहसील मैनपुरी में 10 बीघा खेत का पट्टा
लेकिन इन मांगों पर योगी सरकार ने ध्यान ही नही दिया पीड़ित परिवार की कोई सुनवाई नही हुई कुछ भी नही मिला ।
यही नही आपको बता दें कि पीड़ित परिवार के लिए सिफारिश करने वाले उन्ही के राज्य मंत्री गिरीशचंद यादव थे जिन्होंने 07/05/2018 को पीड़ित परिवार को न्याय व् सहायता दिए जाने की सिफारिश की उनकी मांगों को दरकिनार कर दिया गया तथा परिवार को कुछ नही मिला
यही नही उत्तरप्रदेश की योगी सरकार ने अपने ही मैनपुरी विधायक रामनरेश अग्निहोत्री की भी नही सुनी इन्होंने 26/03/2018 को योगी सरकार से पीड़ित परिवार को न्याय व् मुआवजा दिये जाने की सिफारिश की लेकिन योगी सरकार ने सभी सिफारिशों को दरकिनार कर दिया और पीड़ित परिवार को कुछ नही मिला
बीजेपी में जो भी कश्यप नेता है उन्होंने संजीव कश्यप के पीड़ित परिवार को इंज़ार दिलाने के लिए सरकार से कोई सिफारिश नही की तथा पीड़ित परिवार को इन्साफ दिलाने के लिए कोई आवाज़ नही उठाई धिक्कार है ऐसे नेताओं पर जो समाज के लोगो के लिए अपनी ही पार्टी की सरकार से इन्साफ की मांग न कर सके ।
आज 6 महीने होने के बाद भी पीड़ित परिवार न्याय के लिए दर-दर भटक रहा है
मामला आखिर था क्या ?
आपको बता दें एफआईआर के अनुसार उनके साथ क्या हुआ था 22 मार्च 2018 गुरुवार को रात लगभग 9:00 बजे मैनपुरी कोतवाली क्षेत्र में मोटर मैकेनिक का काम करने वाले नगला रते निवासी संजीव कश्यप बाइक से जब अपने घर लौट रहे थे तभी उनकी बाइक मैनपुरी मुख्यालय के पास खड़ी पुलिस की कोबरा टीम की बाइक से टकरा गई जिसके बाद कोबरा टीम के लिए दो सिपाहियों से उनका विवाद हुआ तथा विवाद होने के बाद सिपाहियों ने संजीव कश्यप को गोली मार दी इस मामले में दो सिपाहियों को नामजद आरोपी बनाया गया उनके नाम सिपाही तेजप्रकाश तथा सौरभ है । इस मामले में मैनपुरी थाना कोतवाली में मु0अ0स0 367/2018 के तहत आईपीसी की धारा 302 के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी ।
संजीव कश्यप की हत्या के बाद पुलिस ने एफआईआर तब लिखी जब लोगों ने संजीव कश्यप के शव को सड़क पर रखकर चक्का जाम किया तथा जमकर हंगामा किया हंगामे को शांत करने के लिए पुलिस को आरोपियों के खिलाफ एफआई आर दर्ज करनी पड़ी लेकिन मामला शांत होने के बाद पुलिस ने अपनी जांच में दोनों आरोपी सिपाहियों को निर्दोष साबित कर दिया तथा किसी अन्य को आरोपी बता कर जेल भिजवा दिया उसके बाद मामला दबा दिया गया
लेकिन लखनऊ में हुए विवेक तिवारी हत्यकांड में जिस तरह से आरोपी को बचाने का प्रयास किया गया तथा पहले वाली एफआईआर में आरोपियो का नाम हटा कर अज्ञात के खिलाफ एफआईआर लिखी गई थी उसके बाद जब हंगामा हुआ तथा मीडिया में इस मामले की आलोचना हुई तब इस केस में मात्र 4 दिन में सरकार हिल गई दोबारा एफआईआर लिखी गई तथा तुरंत पीड़ित परिवार को आर्थिक सहायता भी मिल गई ।
लेकिन संजीव कश्यप को अभी तक कुछ क्यों नही मिला
संजीव कश्यप के भाई अनिल कश्यप ने पोस्टमार्टम प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी किये जाने की आशंका जताई थी उन्होंने जिलाधिकारी को 23/03/2018 को पत्र लिखा था जिसमे उन्होंने मांग की थी कि आरोपी पुलिस कर्मी है लिहाजा मुझे ये आशंका है कि आरोपी पोस्टमार्टम की प्रक्रिया को किसी भी प्रकार से प्रभावित कर सकते है इसलिए आपसे अनुरोध है कि संजीव कश्यप का पोस्टमार्टम किसी अन्य पैनल द्वारा कराया जाये तथा पोस्टमार्टम प्रक्रिया की वीडियोग्राफी कराई जाए ।
लेकिन मैनपुरी प्रशाशन ने मृतक के भाई व् प्रार्थी अनिल कश्यप की इस मांग को दरकिनार कर दिया उनकी नही सुनी गई । तथा अपने अनुसार ही पोस्टमार्टम की प्रक्रिया को अंजाम दिया गया
इस प्रकार योगी सरकार में न्याय का गलाघोट दिया गया तथा पीड़ित परिवार अब भी अपनी पांच बेटियों के भविष्य की चिंता में न्याय कज आस लिए भटक रहा है ।।
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