स्वच्छ भारत अभियान की धज्जियां उड़ाते अधिकारी , 8 महीनो से नही हुई सफाई , गंदगी से फैला मच्छरों का आतंक
29 नवंबर 2018
(मोहित बाथम की रिपोर्ट कानपुर देहात )
कानपुर देहात : सरकार ने सफाई अभियान चलाया है,स्वच्छता ही सेवा है, हम सबका यही सपना , स्वच्छ भारत हो अपना,
दवाई से नाता तोड़ो , सफाई से नाता जोड़ो,
इत्यादि नारे सुनकर सरकारी ऑफिस में अलमारी के पीछे निवास करने वाले कॉकरोच और कॉकरोचनी चिंता में डूब गए, फिर क्या हुआ?
अगले दिन सुबह दोनों ने बड़े बाबू को जब बगल की दीवार पर गुटखा थूकते और छोटे बाबू को समोसा खाकर परदे से हाथ पोंछते देखा तो उनकी जान में जान आई ।
बस यही भद्दा मजाक है, स्वच्छ भारत अभियान, जो कि अचिर सत्य है ।
दरअसल मै, बात उन घूसखोर आला अधिकारियों और वोट के लिए तलवे चाटने वाले उन नेताओं की कर रहा हूं जो सिर्फ वक्त पर वादे और दिखावे करते हैं , सही भी है , इन लोगों ने जनता को बेवकूफ बना रखा है और हो भी क्यों न, क्योंकि जनता स्वयं मूर्ख बनी हुई है। दरअसल मै जनपद कानपुर देहात के ब्लाक क्षेत्र संदलपुर की बात कर रहा हूं यहां गंदगी का आलम इस कदर है कि लोग मच्छरों के डर से घर में ही कैद होकर रहने को मजबूर हैं चूंकि डर लगा रहता है कि कहीं उनमें कोई मच्छर जनित बीमारी न हो जाए । कस्बा संदलपुर में बनी नालियां इस कदर गंज रहीं हैं कि यदि कोई उसमें गलती से भी गिर जाए तो शायद ही जीवित बचे जिसमें मुख्य रूप से यह समस्या झींझक- सिकंदरा मार्ग पर स्थित पुलिस चौकी से लेकर पानी की टंकी तक बनी नालियों में है , ये नालियां कूड़ा करकट, और गंदगी से पटी पड़ी है जिससे यह बहुत ही बुरी सड़ांध मारती हैं , महीनों से सफाई न होने के कारण मच्छरों और विषेेले जीवों का रैन बसेरा बन चुकी इन नालियों के समीप जाने पर लोंगों में खौफ उत्पन्न हो जाता है कि कहीं कोई जहरीला जीव उनको अपना शिकार न बना ले। बता दें कि इन नालियों की सफाई आठ माह से नहीं हुई है जबकि इनको साफ करने के लिए ग्रामीणों द्वारा कई बार लिखित रूप में ऐडियो पंचायत संदलपुर से शिकायत की जा चुकी है परन्तु प्रत्येक बार कोई न कोई बहाना बना कर या आश्वासन देकर उनको वापस भेज दिया जाता है इस संबंध में कई बार दैनिक समाचारों में वृतांत प्रकाशित कर सफाई की गुहार लगाई जा चुकी है फिर भी जिम्मेदारों के कानों में अभी तक जूं भी नहीं रेंगी उन्होंने स्वच्छता अभियान को एक भद्ददा मजाक बना दिया है जबकि उनकी बातों से साफ जाहिर होता है कि आपको जो करना हो आप कर लो मै टस से मस नहीं होऊंगा , मतलब यह है कि यह उनके द्वारा की गई मुफ्त समाज सेवा होगी जिससे वह धृणा करते हैं चूंकि भारत स्वयं में एक विश्व प्रसिद्ध देश हैं जहां आला अधिकारियों की जेब गर्म तो सब मुनासिब, वरना...!
संदलपुर बाजार की नवीन सब्जी मंडी इसी नाली के किनारे उमाकांत तिवारी जी की भूमि पर प्रति सप्ताह दो बार लगती है और प्रति बाजार व्यापारियों द्वारा सब्जियों के अपशिष्ट यहीं चारों तरफ फैला दिया जाता है जो कि नाली में जाकर एकत्रित हो जाता है जिसके कारण नाली अवरुद्ध हो चुकी है । नालियों में पड़े अपशिष्टों के सड़ने से दिन के समय नालियों के समीप से गुजरना भी दूभर हो गया है , नालियों में जल भराव के कारण उनमें बीमारी फैलाने वाले मच्छर , कीड़े और जहरीले जीव पनाह ले पनप रहे हैं इसलिए इन नलियों को कोई स्वयं साफ करने का जोखिम नहीं उठाता । इसी बाजार के समीप नीतू कटियार व मनोज अवस्थी के मकान के मध्य कैलाश नाथ गुप्ता की खाली भूमि पड़ी हुई है जिसमें प्रतिदिन नियमित रूप से मोहल्ले के कुछ दबंग लोग आकर अपने घरों से निकला कूड़ा करकट डालते हैं जिससे वहां पर मच्छरों और जहरीले जीवों का आतंक फैल चुका है और ज्यादातर जहरीले जीव और मच्छर घरों में भी प्रवेश कर जाते हैं जिससे प्रत्येक समय घर की गृहणी खौफ के साय में अपना जीवन जीने को मजबूर है कस्बे के देव प्रकाश अवस्थी और अमित सविता ने बताया कि यदि लोगों को यहां कूड़ा डालने से रोका जाता है तो बह अपनी दबंगई दिखा गाली गलौज कर मारपीट पर आमादा हो जाते हैं और जबरन वहीं पर कूड़ा करकट डालते हैं । आला अधिकारी लगातार आ रही इन शिकायतों के बाबजूद कोई ठोस कदम उठाने के लिए तैयार नहीं हैं और इस बाबत पर चुप्पी साधे हुए हैं । कस्बे के देव प्रकाश अवस्थी, निखिल अवस्थी, मनोज अवस्थी, शीपू कटियार, राजाबाबू शुक्ला, राहुल भदौरिया, अमित सविता और नीतू कटियार आदि लोगों ने बताया कि यदि जल्द ही शेड्यूल लगाकर नियमित रूप से नालियों की सफाई नहीं की गई तो वह जिलाधिकारी कानपुर देहात को ज्ञापन सौंपकर धरना प्रदर्शन करेंगे। जबकि एडीओ पंचायत संदलपुर आर के दिक्षित ने पुन: जल्द ही सफाई कर्मी को भेज सफाई कराने का आश्वासन देकर फिर से अपना पलडा झाड़ लिया है।
"एक कहावत है ‘कुत्ता भी जब बैठता है तो पूंछ झाडक़र बैठता है।’ इसका अर्थ यह है कि जब कुत्ता किसी स्थान पर बैठता है तब सबसे पहले उसे पूंछ से साफ कर लेता है, अर्थात कुत्ता भी स्वच्छताप्रिय होता है, फिर मनुष्य को तो स ...... ! वास्तव में, स्वच्छता जीवन में अत्यंत आवश्यक है। अंग्रेजी में एक कहावत है ‘सत्य के बाद स्वच्छता का स्थान है।’ " वर्तमान में भी इन कहावतों में बदला कुछ भी नहीं है बस समझने और करने में फेर हो गया है, मतलब... !
मतलब यह कि सफाई तो करनी है लेकिन सिर्फ अपनी और अपने लिए , खुद साफ दिखें और खुद की चेयर, टेबल साफ हो । माफ़ कीजियेगा लेकिन वर्तमान में यही एक स्वयं में राजनीति बन चुकी ।
"दरअसल अधिकांश स्वच्छता अभियान फोटो शूट करने के लिए आयोजित किए जाते हैं, बाकी के भी फोटो शूट करने के लिए ही आयोजित किए जाते हैं! अलबत्ता मौका हासिल नहीं होता।
स्वच्छता अभियान का नारा, हम सभी को अपने घर, गाव, देश को स्वच्छ बनाने के लिए प्रेरित करते है मतलब जब कोई मुहीम चलाई जाती है तब एक नारे के साथ सभी लोग आपस में जुड़ते चले जाते है फिर यही मुहीम एक बहुत बड़े बदलाव का कारण भी बनता है वो कहते है न बूंद बूंद से सागर भरता है ठीक उसी प्रकार हर इन्सान स्वछता और सफाई का महत्व समझने लगे तो फिर अपने देश को स्वच्छ बनने में देर नही लगेगा , यह शब्द हैं कस्बे के ही निवासी रामकेश कटियार जी के । दरअसल उन्होंने आला अफसरों के इस रवैए के कारण स्वयं ही सफाई करने की ठान ली , कई माह से हो रही शिकायतों के बाबजूद जब नालियों की सफाई नहीं हुई तो आज सुबह खुद ही उन्होंने नाली की साफ सफाई करवाई , उन्होंने आगे कहा कि जिम्मेदारों से याचना करने से कुछ भी नहीं होने वाला है हमें स्वयं ही इन नालियों को नियमित रूप से साफ करना पड़ेगा हमें दूसरों पर आश्रित होने से अच्छा होगा कि हम स्वयं में सशक्त बने।
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