दिल्ली के राजीव गांधी सुपर स्पेशलिस्ट हॉस्पिटल ताहिरपुर की दवा वितरण प्रणाली पर लगा सवालिया निशान
09 feb 2019
दिल्ली :- गाज़ियाबाद निवासी सुशील चौधरी ने दिल्ली सरकार के "स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग" को दिल्ली के "राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल" में दवा वितरण की कार्यशैली को लेकर लिखित शिकायत भेजी है उनका कहना है जहाँ दिल्ली सरकार मरीजों को सरकारी अस्पतालों में हर मर्ज की दवा फ्री बाटने के दावे करती है, वही राजीव गांधी सुपर स्पेशलिस्ट हॉस्पिटल, ताहिरपुर में फार्मेसी वाले डॉक्टर द्वारा लिखी गई पूरी दवाई उपलब्ध नही करवाते है, साथ मे निशान लगा देते है कि जो दवाई नही है उसको बाहर स्टोरेवाले से खरीद लो यही नही फार्मेसी वाले स्टॉक रजिस्टर में सभी दवाइयों की एंट्री 15-1 या 30-1 करते है, इससे प्रतीत होता है कि फार्मेसी सभी दवाई मरीज को उपलब्ध करवा रही है परंतु केवल पूरे पर्चे में 2-3 दवाइया ही दी जाती है, फार्मेसी की इस कार्यशैली से तो प्रतीत होता है की दाल में काला ही नही है बल्कि पूरी की पूरी दाल ही काली है
2-2 हफ्ते से दौड़ते मरीजों के तीमारदारों को मेडिकल अफसर डॉ0 वर्मा जी के द्वारा झूठा आश्वसन मिलता है कहा जाता है कि इस कार्य प्रणाली की जांच करवाई जाएगी और दवा का इंडेंट कर रखा है, लगभग 2 हफ्ते में आएगी उदाहरण -: स्पेसर, ब्रिलान्टा, पैंटोप, dytor + 20/50, अट्रोवस, एकॉस्प्रिं, nosal spray, आदि, परन्तु समस्या जस की तस है।
कहने को दिल्ली सरकार मुफ्त दवा वितरण करवाने में लगी हुई है, परन्तु फिर भी रोजाना सैकड़ो गरीब मरीज पूरी दवा न मिलने से परेशान है। इस प्रणाली को देखते हुए यह कहने में कोई संकोच नही है कि हालात आज भी पहले जैसे ही है।
(रिपोर्ट:- सुशील चौधरी लोनी गाज़ियाबाद)
दिल्ली :- गाज़ियाबाद निवासी सुशील चौधरी ने दिल्ली सरकार के "स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग" को दिल्ली के "राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल" में दवा वितरण की कार्यशैली को लेकर लिखित शिकायत भेजी है उनका कहना है जहाँ दिल्ली सरकार मरीजों को सरकारी अस्पतालों में हर मर्ज की दवा फ्री बाटने के दावे करती है, वही राजीव गांधी सुपर स्पेशलिस्ट हॉस्पिटल, ताहिरपुर में फार्मेसी वाले डॉक्टर द्वारा लिखी गई पूरी दवाई उपलब्ध नही करवाते है, साथ मे निशान लगा देते है कि जो दवाई नही है उसको बाहर स्टोरेवाले से खरीद लो यही नही फार्मेसी वाले स्टॉक रजिस्टर में सभी दवाइयों की एंट्री 15-1 या 30-1 करते है, इससे प्रतीत होता है कि फार्मेसी सभी दवाई मरीज को उपलब्ध करवा रही है परंतु केवल पूरे पर्चे में 2-3 दवाइया ही दी जाती है, फार्मेसी की इस कार्यशैली से तो प्रतीत होता है की दाल में काला ही नही है बल्कि पूरी की पूरी दाल ही काली है
2-2 हफ्ते से दौड़ते मरीजों के तीमारदारों को मेडिकल अफसर डॉ0 वर्मा जी के द्वारा झूठा आश्वसन मिलता है कहा जाता है कि इस कार्य प्रणाली की जांच करवाई जाएगी और दवा का इंडेंट कर रखा है, लगभग 2 हफ्ते में आएगी उदाहरण -: स्पेसर, ब्रिलान्टा, पैंटोप, dytor + 20/50, अट्रोवस, एकॉस्प्रिं, nosal spray, आदि, परन्तु समस्या जस की तस है।
कहने को दिल्ली सरकार मुफ्त दवा वितरण करवाने में लगी हुई है, परन्तु फिर भी रोजाना सैकड़ो गरीब मरीज पूरी दवा न मिलने से परेशान है। इस प्रणाली को देखते हुए यह कहने में कोई संकोच नही है कि हालात आज भी पहले जैसे ही है।
(रिपोर्ट:- सुशील चौधरी लोनी गाज़ियाबाद)
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