सोनभद्र सामूहिक हत्याकांड मामले में विवादित भूमि के (1955) के अहम दस्तावेज गायब, जांच लटकी
23 जुलाई 2019
सोनभद्र - मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार हाल ही में भूमि विवाद को लेकर उत्तरप्रदेश के सोनभद्र में हुए सामूहिक नरसंहार मामले की जांच बीच मे रोक दी गई है इसके पीछे इस केस से जुड़े अहम दस्तावेज गायब होने का हवाला दिया जा रहा है ।
आपको बता दें कि इस सामूहिक नरसंहार में गोंड समाज के 10 लोगों की निर्मम हत्या कर दी गई थी । मामले में आरोपी ग्राम प्रधान 32 ट्रेक्टर में लगभग 300 आदमी तथा लाठी, डंडे , बंदूख लेकर विवादित जमीन पर कब्ज़ा करने के उद्देश्य से आया था इसके बाद सोची समझी योजना से इस सामूहिक हत्याकांड को अंजाम दिया गया ।
खबर के अनुसार सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस घटना की जांच को लेकर तीन सदस्सीय कमेटी का गठन किया था लेकिन राजस्व विभाग में 1955 की महत्वपूर्ण फ़ाइल न मिलने के कारण जांच बीच में रोक दी गई है जिलाधिकारी अंकित अग्रवाल ने इस मामले की पुष्टि करते हुए फ़ाइल न मिलने की बात कही है
आपको बता दें कि राजस्व विभाग के अतिरिक्त सचिव के नेतृत्व में इस मामले की जांच की जा रही थी कि इस भूमि विवाद के पीछे की क्या सच्चाई है कैसे ये जमीन संस्था के नाम हुई फिर कैसे ग्राम प्रधान ने इस विवादित जमीन पर कब्ज़ा जमाया लेकिन जिस तरह से इस केस से जुड़े अहम दस्तावेज गायब हुए हैं उससे तो लगता है कि दाल में ही काल नही है बल्कि पूरी की पूरी दाल ही काली है
ऐसे में एक सवाल उठना लाजमी है कि अगर भूमि विवाद की जांच फ़ाइल न मिलने के कारण रोक दी गई है तो क्या सामूहिक नर संहार मामले की जांच भी रोक दी जाएगी ?
भूमि विवाद व सामूहिक हत्याकांड दोनों अलग अलग बातें हैं अगर ये मान भी लिया जाए कि विवादित भूमि के दस्तावेज राजस्व विभाग से गायब है लेकिन इसके लिए जो सामूहिक हत्याकांड हुआ है उस की जांच तो नही रुकनी चाहिए दोषियों को सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए तभी सोनभद्र के मृतकों की आत्मा को शन्ति मिलेगी
( press india 24 )
सोनभद्र - मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार हाल ही में भूमि विवाद को लेकर उत्तरप्रदेश के सोनभद्र में हुए सामूहिक नरसंहार मामले की जांच बीच मे रोक दी गई है इसके पीछे इस केस से जुड़े अहम दस्तावेज गायब होने का हवाला दिया जा रहा है ।
आपको बता दें कि इस सामूहिक नरसंहार में गोंड समाज के 10 लोगों की निर्मम हत्या कर दी गई थी । मामले में आरोपी ग्राम प्रधान 32 ट्रेक्टर में लगभग 300 आदमी तथा लाठी, डंडे , बंदूख लेकर विवादित जमीन पर कब्ज़ा करने के उद्देश्य से आया था इसके बाद सोची समझी योजना से इस सामूहिक हत्याकांड को अंजाम दिया गया ।
खबर के अनुसार सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस घटना की जांच को लेकर तीन सदस्सीय कमेटी का गठन किया था लेकिन राजस्व विभाग में 1955 की महत्वपूर्ण फ़ाइल न मिलने के कारण जांच बीच में रोक दी गई है जिलाधिकारी अंकित अग्रवाल ने इस मामले की पुष्टि करते हुए फ़ाइल न मिलने की बात कही है
आपको बता दें कि राजस्व विभाग के अतिरिक्त सचिव के नेतृत्व में इस मामले की जांच की जा रही थी कि इस भूमि विवाद के पीछे की क्या सच्चाई है कैसे ये जमीन संस्था के नाम हुई फिर कैसे ग्राम प्रधान ने इस विवादित जमीन पर कब्ज़ा जमाया लेकिन जिस तरह से इस केस से जुड़े अहम दस्तावेज गायब हुए हैं उससे तो लगता है कि दाल में ही काल नही है बल्कि पूरी की पूरी दाल ही काली है
ऐसे में एक सवाल उठना लाजमी है कि अगर भूमि विवाद की जांच फ़ाइल न मिलने के कारण रोक दी गई है तो क्या सामूहिक नर संहार मामले की जांच भी रोक दी जाएगी ?
भूमि विवाद व सामूहिक हत्याकांड दोनों अलग अलग बातें हैं अगर ये मान भी लिया जाए कि विवादित भूमि के दस्तावेज राजस्व विभाग से गायब है लेकिन इसके लिए जो सामूहिक हत्याकांड हुआ है उस की जांच तो नही रुकनी चाहिए दोषियों को सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए तभी सोनभद्र के मृतकों की आत्मा को शन्ति मिलेगी
( press india 24 )
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