फूलनदेवी ( द आयरन लेडी ऑफ इंडिया ) जिन्होंने गैंगरेप किया उन्हें लाइन में खड़ा करके गोलियों से उड़ा दिया था
25 जुलाई 2019
नई दिल्ली :- फूलन देवी जिन्हें विश्व की चौथी तथा भारत की प्रथम आयरन लेडी के नाम से जाना जाता है आज ही के दिन 25 जुलाई 2001 को जब वह 38 वर्ष की थी उनके घर के सामने उनकी हत्या कर दी गई थी फूलनदेवी का जन्म 10 अगस्त 1963 को जालौन जिले के पुरवा गाँव में हुआ था वे एक मल्लाह समाज से थी जिसके कारण उन्हें अक्सर जातिगत भेदभाव का सामना करना पड़ता था
महज 11 वर्ष की उम्र में उनकी शादी एक पुट्टी लाल नाम के एक वृद्ध व्यक्ति से करा दी गई उम्र में काफी अंतर होने के कारण तथा वैचारिक मतभेद के चलते घर मे आपसी कलह बढ़ गई तथा फूलनदेवी अपने पति का घर छोड़ कर अपने माता पिता के घर वापस आ गई
इसके बाद जब वह 15 वर्ष की थी तब उनके साथ गाँव के ही कुछ दबंगों ने दुष्कर्म किया यही नही दबंगो ने कई बार उनके माता पिता के सामने भी उनके साथ इस घिनौनी वारदात को अंजाम दिया इतने में भी जब उनका पेट नही तो एक दस्यु गैंग से मिल कर फूलनदेवी का अपहरण करा लिया गया तथा वहां भी लगातार 3 हफ्तों तक उनके साथ गैंगरेप किया गया स्वाभिमान पर की गई बार बार चोट ने फूलनदेवी को अंदर से इतना कठोर बना दिया था कि अब उनपर किसी जुल्म का कोई असर नही होता था
इसके बाद उन्होंने काफी संघर्ष किया तथा अपना गैंग बना लिया
14 फरवरी 1981 को फूलनदेवी ने बहमई में 22 ठाकुरों को एक लाइन में खड़ा करके गोली से उड़ा दिया था तथा इसके लिए फूलन देवी को कोई पछतावा नही था फूलन का कहना था कि जिन्होंने उनके साथ गैंगरेप किया उन्होंने उन्हें गोली से उड़ा दिया
1983 में भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उन्हें ये आश्वाशन दिया कि उन्हें मृत्यु दंड नही दिया जाएगा उसके बाद उन्होंने लगभग 10000 लोगो व 300 पुलिस कर्मियों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया
समर्पण के बाद उन्हें 8 वर्ष की सजा हुई जिसके बाद 1994 में वो जेल से रिहा हुई इसके बाद उन्होंने राजनीति में कदम रक्खा और समाजवादी पार्टी से पहली बार जीत कर मिर्जापुर की सांसद बनी वे लगातार दो बार जीत कर संसद पहुंची
जिसके बाद बड़े ही शातिर तरीके से आज ही के दिन दिल्ली में उनके घर के सामने 25 जुलाई 2001 को उनकी गोली मार कर हत्या कर दी गई थी ।
नई दिल्ली :- फूलन देवी जिन्हें विश्व की चौथी तथा भारत की प्रथम आयरन लेडी के नाम से जाना जाता है आज ही के दिन 25 जुलाई 2001 को जब वह 38 वर्ष की थी उनके घर के सामने उनकी हत्या कर दी गई थी फूलनदेवी का जन्म 10 अगस्त 1963 को जालौन जिले के पुरवा गाँव में हुआ था वे एक मल्लाह समाज से थी जिसके कारण उन्हें अक्सर जातिगत भेदभाव का सामना करना पड़ता था
महज 11 वर्ष की उम्र में उनकी शादी एक पुट्टी लाल नाम के एक वृद्ध व्यक्ति से करा दी गई उम्र में काफी अंतर होने के कारण तथा वैचारिक मतभेद के चलते घर मे आपसी कलह बढ़ गई तथा फूलनदेवी अपने पति का घर छोड़ कर अपने माता पिता के घर वापस आ गई
इसके बाद जब वह 15 वर्ष की थी तब उनके साथ गाँव के ही कुछ दबंगों ने दुष्कर्म किया यही नही दबंगो ने कई बार उनके माता पिता के सामने भी उनके साथ इस घिनौनी वारदात को अंजाम दिया इतने में भी जब उनका पेट नही तो एक दस्यु गैंग से मिल कर फूलनदेवी का अपहरण करा लिया गया तथा वहां भी लगातार 3 हफ्तों तक उनके साथ गैंगरेप किया गया स्वाभिमान पर की गई बार बार चोट ने फूलनदेवी को अंदर से इतना कठोर बना दिया था कि अब उनपर किसी जुल्म का कोई असर नही होता था
इसके बाद उन्होंने काफी संघर्ष किया तथा अपना गैंग बना लिया
14 फरवरी 1981 को फूलनदेवी ने बहमई में 22 ठाकुरों को एक लाइन में खड़ा करके गोली से उड़ा दिया था तथा इसके लिए फूलन देवी को कोई पछतावा नही था फूलन का कहना था कि जिन्होंने उनके साथ गैंगरेप किया उन्होंने उन्हें गोली से उड़ा दिया
1983 में भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उन्हें ये आश्वाशन दिया कि उन्हें मृत्यु दंड नही दिया जाएगा उसके बाद उन्होंने लगभग 10000 लोगो व 300 पुलिस कर्मियों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया
समर्पण के बाद उन्हें 8 वर्ष की सजा हुई जिसके बाद 1994 में वो जेल से रिहा हुई इसके बाद उन्होंने राजनीति में कदम रक्खा और समाजवादी पार्टी से पहली बार जीत कर मिर्जापुर की सांसद बनी वे लगातार दो बार जीत कर संसद पहुंची
जिसके बाद बड़े ही शातिर तरीके से आज ही के दिन दिल्ली में उनके घर के सामने 25 जुलाई 2001 को उनकी गोली मार कर हत्या कर दी गई थी ।
(उपरोक्त जानकारी मीडिया रिपोर्ट के आधार पर लिखी गई है तथा त्रुटि होना संभव है )
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