(KGMU) लखनऊ मेडिकल कॉलेज की सबसे लचर स्वास्थ्य सेवाएं , सरकारी अस्पताल होते हुए भी यहां सिरिंज से लेकर दवा, इंजेक्शन, व अन्य सामान की जीएसटी सहित पूरी कीमत दे कर खरीदना पड़ता है , अस्पताल में भी दवाओं के वसूले जाते हैं अच्छे-खासे दाम
07 जुलाई 2019
लखनऊ:- आज आपको एक ऐसी खबर बताने जा रहै है जो उत्तरप्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खोलने के लिए काफी है दरसल हम बात कर रहे है उत्तरप्रदेश के सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज व अस्पताल ( KGMU ) की जो कहने को तो सरकारी है लेकिन यहां इलाज कराने आने से पहले आप को अपनी जेब मजबूत करके ही आना होगा क्यों कि यहां चिकित्सा संबंधी सभी सामान बाहर से खरीद कर लाना पड़ता है चाहे मरीज कितना भी गंभीर स्थिति में क्यों न हो लेकिन उसे इंजेक्शन तभी लगेगा जब आप बाहर से सिरिंज व इंजेक्शन ले कर आएंगे दवा से लेकर यूरिन का सेम्पल रखने के लिए प्लास्टिक की छोटी सी डिब्बी भी बाहर से लानी पड़ती है । कुछ दवा अस्पताल के अंदर भी मिल जाती है लेकिन हर एक दवा की अच्छी खासी कीमत वसूली जाती है वो भी GST के साथ ।
एक और बात ये है कि मरीज के साथ आने वाले तिमारदरों को हर छोटी-बड़ी जरूरत के लिए दौड़ाया जाता है । अस्पताल में भारी भरकम स्टाफ होते हुए भी सेम्पल जांच, रिपोर्ट लाना, पेमेंट जमा करना आदि तीमारदारों को ही करना पड़ता है । कुछ तीमारदार अशिक्षित भी होते हैं तो किसी को यहां के लंबे भूल-भुलैया वाले रास्तो की या जांच प्रक्रिया की जानकारी नही होती तो वो बार-बार पूछने में समय खराब कर देते हैं तथा खरी-खोटी भी सुनते हैं जानकारी के अभाव में रिपोर्ट आने में देर होती हैं जिससे ठीक समय पर गंभीर मरीजो को इलाज नही मिल पाता और उनकी जान को खतरा पैदा हो जाता है साथ ही मरीज का इलाज कराने आये तीमारदार खुद ही थक कर चूर हो जाते हैं । सूबे के मुखिया लगातार अस्पतालों का दौरा कर रहे है लेकिन इन कमियों का सुधार कौन करेगा ?
क्या इस अस्पताल में सरकार की तरफ से दवाएं मुफ्त नही दी जा सकती ?
क्या दवाओं पर भी GST लगाना जरूरी है ?
क्या अस्पताल में सेम्पल,जांच, रिपोर्ट आदि लाने ले जाने का काम अस्पताल का स्टाफ नही कर सकता ?
उत्तरप्रदेश के मुखिया लगातार सरकारी अस्पतालों के दौरा कर रहे हैं लेकिन थोड़ा ध्यान इधर भी दीजिये माननीय मुख्यमंत्री महोदय क्यों कि यहां गरीब लोग बहुत दूर से तथा बहुत मजबूरी में आते हैं ।
लखनऊ:- आज आपको एक ऐसी खबर बताने जा रहै है जो उत्तरप्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खोलने के लिए काफी है दरसल हम बात कर रहे है उत्तरप्रदेश के सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज व अस्पताल ( KGMU ) की जो कहने को तो सरकारी है लेकिन यहां इलाज कराने आने से पहले आप को अपनी जेब मजबूत करके ही आना होगा क्यों कि यहां चिकित्सा संबंधी सभी सामान बाहर से खरीद कर लाना पड़ता है चाहे मरीज कितना भी गंभीर स्थिति में क्यों न हो लेकिन उसे इंजेक्शन तभी लगेगा जब आप बाहर से सिरिंज व इंजेक्शन ले कर आएंगे दवा से लेकर यूरिन का सेम्पल रखने के लिए प्लास्टिक की छोटी सी डिब्बी भी बाहर से लानी पड़ती है । कुछ दवा अस्पताल के अंदर भी मिल जाती है लेकिन हर एक दवा की अच्छी खासी कीमत वसूली जाती है वो भी GST के साथ ।
एक और बात ये है कि मरीज के साथ आने वाले तिमारदरों को हर छोटी-बड़ी जरूरत के लिए दौड़ाया जाता है । अस्पताल में भारी भरकम स्टाफ होते हुए भी सेम्पल जांच, रिपोर्ट लाना, पेमेंट जमा करना आदि तीमारदारों को ही करना पड़ता है । कुछ तीमारदार अशिक्षित भी होते हैं तो किसी को यहां के लंबे भूल-भुलैया वाले रास्तो की या जांच प्रक्रिया की जानकारी नही होती तो वो बार-बार पूछने में समय खराब कर देते हैं तथा खरी-खोटी भी सुनते हैं जानकारी के अभाव में रिपोर्ट आने में देर होती हैं जिससे ठीक समय पर गंभीर मरीजो को इलाज नही मिल पाता और उनकी जान को खतरा पैदा हो जाता है साथ ही मरीज का इलाज कराने आये तीमारदार खुद ही थक कर चूर हो जाते हैं । सूबे के मुखिया लगातार अस्पतालों का दौरा कर रहे है लेकिन इन कमियों का सुधार कौन करेगा ?
क्या इस अस्पताल में सरकार की तरफ से दवाएं मुफ्त नही दी जा सकती ?
क्या दवाओं पर भी GST लगाना जरूरी है ?
क्या अस्पताल में सेम्पल,जांच, रिपोर्ट आदि लाने ले जाने का काम अस्पताल का स्टाफ नही कर सकता ?
उत्तरप्रदेश के मुखिया लगातार सरकारी अस्पतालों के दौरा कर रहे हैं लेकिन थोड़ा ध्यान इधर भी दीजिये माननीय मुख्यमंत्री महोदय क्यों कि यहां गरीब लोग बहुत दूर से तथा बहुत मजबूरी में आते हैं ।
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