हिंदी फिल्म - बाबा रामसा पीर शुक्रवार को रिलीज हो गयी, जिसमें जाने-माने अभिनेता ऑशिम खेतरपाल प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं
दिल्ली - यह फिल्म राजस्थान के महान संत एवं समाज सुधारक बाबा रामदेव या बाबा रामसा पीर के जीवन से प्रेरित है
राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित फिल्म – शिरडी साई बाबा के निर्माता, जाने-माने अभिनेता ऑशिम खेतरपाल ने इसमें निर्माता और एक्टर दोनों ही रूपों में अपनी भूमिका निभाई है
मौजूदा महामारी के बीच, लंबे इंतजार के बाद थिएटर खुलने पर, राजस्थान की पृष्ठभूमि पर बनी फिल्म बाबा रामसा पीर शुक्रवार को रिलीज हो गयी, जो कि बाबा रामसा पीर के जीवन पर आधारित है। फिल्म में मुख्य भूमिका निभाने वाले निर्माता, जा इससे पहले शिरडी साई बाबा नामक फिल्म बना चुके हैं, ने कहा कि यह फिल्म दिवाली से पहले थिएटर में आयी है, जो एक शुभ संकेत है।
फिल्म में लीड रोल खुद खेतरपाल ने निभाया है, जबकि उनके विपरीत महिला लीड ग्रेसी सिंह हैं, जिन्हें 2001 में आयी ब्लॉकबस्टर फिल्म लगान में गौरी का रोल करने के लिए जाना जाता है। यह फिल्म राजस्थान के महान संत और समाज सुधारक के जीवन पर आधारित है। बाबा रामसा पीर को रनुजा के राजा भी कहा जाता है। वह पश्चिमी तट के सबसे चर्चित संत थे, जिन्होंने 14वीं सदी में हिंदू-मुस्लिम एकता का संदेश फैलाया। इस नाते उन्हें हिंदू और मुस्लिम दोनों ही वर्गों का सम्मान प्राप्त है। परिणामस्वरूप, यह फिल्म लाखों लोगों की भावनाओं को प्रतिबिंबित करती है।
खेतरपाल कहते हैं- मेरे लिए यह फिल्म एक आध्यात्मिक अनुभव देकर गयी है और मैं स्वयं को सौभाग्यशाली मानता हूं कि मुझे बाबा रामदेव का रोल करने का मौका मिला, जो कि राजस्थान में बेहद पूजनीय हैं और एक महान संत व समाज सुधारक माने जाते हैं। यह एक दिलचस्प पारिवारिक मूवी है और समाज के हर वर्ग को इसे देखना चाहिए।
ओरिएंट ट्रेडलिंक लिमिटेड द्वारा निर्मित बाबा रामसा पीर फिल्म पीवीआर, कार्निवल और स्टार ग्रुप के 30 से ज्यादा थिएटरों में दिखायी जा रही है। फिल्म की कहानी उस दौर का चित्रण करती है, जब बाबा रामसा मानवता, शांति, प्रेम और सद्भाव का संदेश फैला रहे थे। पर्सिया के पांच फकीरों ने बाबा को यह नाम दिया था, क्योंकि उन्होंने अपना पूरा जीवन गरीबों एवं दुखियों की सेवा में न्यौछावर कर दिया था। एक महान संत और जीवन में बदलाव लाने वाले होने की खातिर, बहुत सारे लोग उन्हें भगवान विष्णु का अवतार भी मानते हैं।
फिल्म "बाबा रामसा पीर" की कहानी
फिल्म "बाबा रामसा पीर" की कहानी एक बच्चे के कौतुक से शुरू होती है, जो राजा अजमल और रानी नैना देवी के शाही परिवार में पैदा हुआ था। वह सभी दिव्य गुणों से संपन्न था और घोड़ों के लिए उसका जुनून, छह साल की कम उम्र में पहली बार स्पष्ट हुआ। वह अपने माता-पिता से लगातार घोड़े के लिए विनती करता है। उसे एक दर्जी से शाही कपड़े से बना घोड़ा दिया जाता है, जिस पर बैठकर वो दिव्य बालक उड़ जाता है। अपनी सांसारिक यात्रा के दौरान, राम देवजी केवल एक सफेद घोड़े यात्रा करते हैं।
जोधपुर राजस्थान में उनके हाथ में तलवार और ढाल जैसे प्रतीक दिखाये गये हैं, जैसा कि पुराने साहित्य में वर्णन मिलता है। राम देव देवरा स्थित समाधि स्थल पर सभी फोटो फ्रेम और चित्र इसी तरह के हैं।
वह अपने ट्रेडमार्क सफेद घोड़े पर बैठ कर अन्य घुड़सवारों के साथ, अपने दमनकारी, अत्याचारी बहनोई विजय सिंह के खिलाफ युद्ध लड़ते हैं, और अपनी बहन सुगना को संकट से निकाल लाते हैं। उनकी शक्तियां न केवल उनके अनुयायियों को मंत्रमुग्ध करती हैं, बल्कि मध्य पूर्व में रहने वाले विद्वानों का ध्यान भी आकर्षित करती हैं।
बाबा रामसा पीर फिल्म पहले चरण में दिल्ली, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड व कोलकाता में पीवीआर, स्टार ग्रुप और कार्निवल सिनेमाघरों में रिलीज की गयी है। इसके बाद इसे पंजाब और गुजरात में दिखाया जायेगा।
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