अपना ब्लाग : राजनीति नहीं, राष्ट्रनीति अपनाओ

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कोरोना वायरस को महामारी घोषित कर दिया है। कोरोना वायरस बहुत सूक्ष्म लेकिन प्रभावी वायरस है। कोरोना वायरस मानव के बाल की तुलना में 900 गुना छोटा है, लेकिन कोरोना का संक्रमण दुनियाभर में तेजी से फ़ैल रहा है।
 कोरोना महामारी समूचे विश्व के लिए एक गंभीर समस्या बनी हुई है ।  पूरब से लेकर पश्चिम तक और उत्तर से लेकर दक्षिण तक त्राहिमाम् मचा हुआ है । शिक्षा से लेकर रोजगार तक , व्यापार से लेकर मनोरंजन तक सब ठप हो चुका है लेकिन राजनीति जस की तस बनी हुई है । विपक्ष के नेता सत्ता पक्ष के नेताओं के गले की हड्डी बने हुए है विपक्ष सत्ता पक्ष पर आरोप लगाने में पीछे नहीं है तो सत्ता पक्ष आरोपों को नकारने में माहिर है । ऐसी परिस्थिति में राजनीति को दर-किनार कर सभी नेताओं को एक होकर भयंकर महामारी से निजात दिला कर राष्ट्रनीति को अपनाना चाहिये ताकि प्रत्येक भारतीय समय आने पर राजनीति नहीं अपितु राष्ट्रनीति की राह पर अग्रसर हो सके । 
 पूरी दुनिया इस वक्त कोरोना वायरस की दूसरी लहर का सामना कर रही है।  भारत में भी हालात बेहद गंभीर हैं । रोजाना परेशान करने वाली खबर दवाइयों, ऑक्सीजन, एंबुलेंस और अस्पतालों में बेड्स की कमी की बातें आम हो चली है।  श्मशानों और कब्रिस्तानों में भी भीड़ है । हालात ऐसे हैं जैसे मानो सिस्टम फेल हो चुका है ऐसे में दुनिया के कई देशों ने भारत की ओर मदद का हाथ बढ़ाया है। अंग्रेजी के बिजनेस अखबार मिंट (MINT) में प्रकाशित एक खबर के मुताबिक 23 अप्रैल को चीन ने कहा कि वो महामारी से जूझ रहे भारतीय लोगों की मदद करेगा । वह इसको लेकर भारतीय सरकार के साथ संपर्क में है। आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा कि बीजिंग मदद के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस मानवजाति का दुश्मन है इस महामारी से निपटने के लिए पूरी दुनिया को एकजुट होने की जरूरत है। चीन के अलावा रूस और फ्रांस ने भी मदद की पेशकश की है यही नहीं पाकिस्तान के एक संगठन Edhi Foundation ने भी भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मदद की पेशकश की है वहीं ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने भी भारत की मदद करने का आश्वासन दिया है । 23 अप्रैल को डर्बीशायर में उन्होंने कहा कि हम भारत की मदद करेंगे और फिलहाल ये देख रहे हैं कि क्या किया जा सकता है। 
 कोरोना काल सबसे ज्यादा दिहाड़ी मजदूरों के लिये परेशानी का सबब बना। दो वक्त की रोटी कमाने के लिए घर-वार छोडकर भिन्न - भिन्न प्रदेशों को पलायन किया । सोचा, घर न सही बाहर तो सुखद पलों का एहसास कर सकेगें लेकिन किसको पता था कि विगत वर्ष से भी वर्तमान वर्ष भयंकर साबित होगा। 
हर दिन कोरोना महामारी से संक्रमितों की संख्या लाखों में है तो हजारों की संख्या में उक्त महामारी से ग्रसित अपनी जान भी गवा रहे है। साथ ही भारी तादाद में लोग महामारी को मात देकर वापस घर भी लौट रहे है। वैक्सीन की डोज भी जोरों से लग रही है । शहर से लेकर गांव तक वैक्सीन की चर्चा है । शहर में ज्यादातर लोग वैक्सीन को अपना रहे है तो गांवों में कुछ लोग नकार भी रहे है । नकारने की वजह रही 'जागरुकता न फैलाना'। हमें लगता है कि समय पर वैक्सीन के प्रति जागरुकता फैलाई गई होती तो शायद कुछ लोग भी वैक्सीन अपनाने से परहेज नहीं करते । राष्ट्रहित को संजोते हुये कुछ लोग भी वैक्सीन को अपनाकर देश में नया कीर्तिमान स्थापित करेगें ।

                   
                          कुं शोभित सिंह, 
                               पत्रकार। 
             shobhitsingh285@gmail.com


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