देश के वरिष्ठ 696 साहत्यकारों ने की हिंसा के बाद बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग - लिखा पत्र

बंगाल में लगेगा राष्ट्रपति शासन ????
साहित्यकारों के प्रतिनिधि संगठन अखिल भारतीय साहित्यकार परिषद ने बंगाल में हो रही साम्प्रदायिक हिंसा को लेकर राष्ट्रपति को 696 साहित्यकारों के हस्ताक्षर व सम्पर्क डिटेल सहित कोरोना महामारी के निर्देशों का पालन करते हुए ऑनलाईन ज्ञापन सौंपा तथा मांग की कि राष्ट्रपति द्वारा इस हिंसा पर तुरंत सज्ञान लिया जाए और दोषियों पर तुरंत कार्यवाही हो। वहीं साहित्यकारों ने यह भी कहा कि वहां के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का रवैया इस सारे प्रकरण में अत्यंत संदिग्ध नजर आ रहा है। 

जिस प्रकार वहां का प्रशासन मूक रहकर हिंसा के पक्ष में खड़ा नजर आ रहा है वह अत्यंत अशोभनीय व संविधान की गरिमा के विरूद्ध है। साहित्यकारों ने यह भी मांग की वो तुलसीदास, सूरदास, कालिदास, कबीर, मीराबाई, रसखान व रहीम के देश में इस साम्प्रदायिक हिंसा से बहुत आहत हैं। उन्होनें राष्ट्रपति से मांग की कि वे तत्काल हस्तक्षेप कर वहां की स्थिति पर स्वयं नजर रखने की व्यवस्था करें और जांच करवाकर दोषियों पर कार्यवाही का आदेश दें ताकि वहां शांति व संविधान जीवित रह सके। इस अवसर पर मुख्य रूप से हस्ताक्षर कर इस मांग को करने वाले साहित्यकारों में मराठी व हिंदी के वरिष्ठ साहित्यकार श्रीधर पराड़कर, डॉ. कमल किशोर गोयनका, गुजराती व हिंदी के प्रसिद्ध साहित्यकार प्रो. बलवन्त जानी, ऋषि कुमार मिश्र, प्रसिद्ध ललित निबंधकार श्रीराम परिहार, मिथिला प्रसाद त्रिपाठी, हरियाणा साहित्य अकादमी के निदेशक पूरणमल गौड़, सारस्वत मोहन मनीषी, टीवी डिबेटर साहित्यकार डॉ. अवनीजेश अवस्थी, पवन पुत्र बादल, डॉ. रमानाथ त्रिपाठी, डॉ. दयाप्रकाश सिन्हा, जीत सिंह जीत, प्रवीण आर्य, प्रो. नीलम राठी व भुवनेश सिंघल आदि सहित 696 कवि व साहित्यकों ने इस ज्ञापन को हस्ताक्षरित कर अपनी सहमति प्रदान कर राष्ट्रपति को सौंपा।

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