भाजपा एक नहीं 10 मंत्री भी बना दे, तब भी बिना आरक्षण नहीं मिलेगा निषादों का वोट- लौटनराम निषाद
■ जब तक एससी आरक्षण का राजपत्र व शासनादेश नहीं, भाजपा से गठबंधन नहीं
■ भाजपा एक नहीं 10 मंत्री भी बना दिया बिना आरक्षण नहीं मिलेगा निषादों वोट-लौटनराम
लखनऊ- वर्तमान सरकार यूपी, बिहार, झारखण्ड के मल्लाह, केवट, बिन्द, बेलदार, नोनिया, गोड़िया, चाईं, तियर को अनुसूचित जाति का दर्जा व परम्परागत पुश्तैनी पेशेवर निषाद/मछुआ समुदाय के बालू मौरंग खनन,मत्स्य पालन पट्टा का अधिकार वापस कर दे तो भाजपा से गठबंधन निश्चित है।उन्होंने कहा की भाजपा एक नहीं 10 मंत्री, एमएलसी बना दे, आरक्षण राजपत्र व शासनादेश, अधिकार बहाली के बिना निषाद समाज भाजपा को वोट नहीं देगा। उक्त बातें विकासशील इंसान पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष चौ.लौटनराम निषाद ने संजय निषाद को मंत्री व एमएलसी बनाने के मुद्दे कही।
वीआईपी प्रदेश अध्यक्ष चौधरी लौटनराम निषाद ने प्रतिनिधि सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि अनुसूचित जाति में शामिल मझवार, गोंड, तुरैहा जाति को प्रमाण पत्र जारी करने के लिए राजपत्र व शासनादेश जारी करने के साथ मछुआरा समाज के परम्परागत पेशों की बहाली का निर्णय लेती है, तो मिशन-2022 में पौराणिक राम की नैया पार लगवाने वाले निषादराज के वंशज भाजपा की नैया पार लगाएंगे।अभी नहीं तो कभी नहीं कि बात करते हुए कहा कि राज्य व केन्द्र में भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार होने के बाद भी भाजपा सरकार ने निषाद जातियों को एससी का आरक्षण व परम्परागत पेशा बहाली का शासनादेश व राजपत्र जारी नहीं किया तो फिर वादे पर विश्वास नहीं।उन्होंने मल्लाह, मांझी, केवट, राजगौंड, बिन्द आदि को मझवार तथा गोडिया, धुरिया, कहार, धीमर, धीवर, रायकवार, राजगोंड आदि को गोंड नाम से जाति प्रमाण पत्र जारी करने, मत्स्य पालन को कृषि का दर्जा देने व मछुआरों के परम्परागत पेशों की बहाली की केंद्र व उत्तर प्रदेश सरकार से मांग की है।कहा कि सेंसस-1961 के अनुसार मांझी, मल्लाह केवट, राजगौड़ आदि मझवार की पर्यायवाची जातियां हैं, लेकिन शासन प्रशासन के द्वारा इन जातियों को मझवार का प्रमाण पत्र नहीं दिया जा रहा है। बताया कि जाटवी, दोहरा, दोहरे, नीम, पिपैल, कर्दम, रैदासी, दबकर, मोची, कुरील, शिवदशिया, रमदशिया, उत्तरहा, दखिनहा, अहिरवार, जैसवार, शंखवार, कबीरपंथी, भगत, चमकाता, धुसिया, झुसिया आदि को जाटव या चमार के नाम से निर्बाध रूप से प्रमाण पत्र दिया जाता है तो मल्लाह,माझी, केवट, बिन्द आदि को मझवार के नाम से क्यों नहीं ? जबकि सेंसस-1961 के अनुसार उक्त जातियां मझवार की पर्यायवाची जातियां हैं।
निषाद ने कहा कि मछुआरों के परम्परागत पेशों पर सामन्ती माफियाओं का कब्जा होने से पुश्तैनी पेशेवर जातियां अपने परम्परागत अधिकारों से वंचित हो रही हैं। उन्होने प्रदेश सरकार से 1994-95 का बालू, मौरंग खनन व मत्स्य पालन पट्टा से संबंधित शासनादेश बहाल करने की मांग किया है।
इस वीडियो भी देखिये देखा जा सकता है कि वाईपी पार्टी के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष लौटनराम निषाद ने स्पष्ट कहा है कि आरक्षण नही तो गठबंधन नही ।
समय समय उत्तर प्रदेश, बिहार व मध्यप्रदेश की सरकारों ने कई बार केन्द्र सरकार को प्रस्ताव भेजकर अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति का आरक्षण देने की सिफारिश की।लेकिन केन्द्र सरकार ने अभी तक निर्णय नहीं लिया। जिन 17 अतिपिछड़ी जातियों की बात की जाती है उनमें 13 उपजातियाँ- निषाद- मछुआ, मल्लाह, केवट,बिन्द, माँझी, धीवर, धीमर, तुरहा, रैकवार, बाथम, कहार, कश्यप, गोड़िया, तुरहा उपजाति निषाद समुदाय की है।इनकी संख्या लगभग 13(12.91) प्रतिशत है।कुम्हार/प्रजापति की संख्या-1.84 व भर/राजभर की 1.31 प्रतिशत है।प्रदेश की 165 विधानसभा सीटों पर निषाद समुदाय का विशेष प्रभाव है।
17 अतिपिछड़ी जातियों की आबादी 17.06 प्रतिशत है।
निषाद ने साफ तौर पर कहा-प्रदेश सरकार ने प्रस्ताव भेजकर केन्द्र सरकार से 17 अतिपिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति का दर्जा दिला दिया या अनुसूचित जाति में शामिल मझवार,तुरैहा,गोंड़ को परिभाषित कराकर निषाद/मछुआ समुदाय की जातियों को अनुसूचित जाति का लाभ दिला दिया तो भाजपा से गठबंधन निश्चित है।कहा कि देश की राजधानी दिल्ली का मल्लाह(धीवर, धीमर, केवट, कश्यप, कहार, झीमर) ,पश्चिम बंगाल का मल्लाह, केवट, कैवर्ता, जलकेउट, केवटा, बिन्द, तियर, चाईं, जलिया, झालो मालो, महिष्यदास व उड़ीसा का केवटा, कैवर्त, धीवर, तीयर, जलकेउट, मांझी अनुसूचित जाति में तो उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखण्ड का मल्लाह,केवट, बिन्द, धीवर, कहार,चाईं, तियर क्यों नहीं?
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