मझवार को दिया जा सकता है आरक्षण, भाजपा सरकार में एमएलसी बन सकते है डॉ संजय निषाद ।

मीडिया रिपोर्ट्स में लगातार खबर सामने आ रही है कि डॉक्टर संजय निषाद को एमएलसी बनाया जा सकता है वहीं दूसरी तरफ भाजपा सरकार द्वारा आरक्षण दिए जाने की भी बात सामने आ रही है कहा जा रहा है कि सरकार जल्द ही इसके लिए आदेश करेगी आपको बताते चलें डॉक्टर संजय निषाद लगातार भाजपा के आलाकमान नेताओं के संपर्क में बने हुए हैं तथा "मझवार" जाति के आरक्षण के मुद्दे पर बात चीत जारी है । बाकी जातियों को मझवार की उपजाति में रखा गया है ।

अखबार में छपी एक खबर के अनुसार भाजपा सरकार द्वारा आरक्षण के मुद्दे पर बैठक जारी है तथा इस मामले में गोपनीयता के कारण अभी साफ-साफ कुछ कहा नही जा रहा है 
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 
प्रदेश सरकार अतिपिछड़ों खासतौर पर मझवार (निषादों समेत 13 उपनाम) को अनुसूचित जाति का आरक्षण देने की तैयारी में है। इसी के लिए भारतीय पार्टी और सरकार ने सभी कानूनी पहलुओं पर मंथन कर लिया है। जल्द ही संभव इस संबंध में कानूनी प्रक्रिया पूरी करमझवार जाति को अनुसचित जाति में शामिल करने का आदेश कर दिया जाएगा।
हाल में भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने 17 जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने के लिए कई बार दिल्ली में बैठक की है। इस बैठक में डा. संजय निषाद के अलावा केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने हिस्सा लिया है। साथ ही महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह से भी कई दौर की बैठक हो चुकी है। महाधिवक्ता ने भी इस संबंध में शासन को रिपोर्ट दे दी है। दरअसल, वर्ष 1961 में जनगणना के लिए केंद्र सरकार ने एक  मैनुअल सभी राज्य सरकारों को भेजा था 

13 मझवार (निषादों) की उपजातियों को एससी का आरक्षण दिया जाएगा ।

17 जातियों को एससी में शामिल करने पर दिल्ली में हो चुकी है बैठक ।

■ मझवार के उपनाम
■ कहार केवट 
■ मल्लाह
■ निषाद 
■ कश्यप 
■ धीवर 
■ बिंद 
■ धीमर 
■ बाथम
■ तुरहा 
■ गौड़यिा
■ मांझी 
■ मछुआ

 राज्य सरकारों को भेजे गए मैनुअल में कहा गया था कि केवट, मल्लाह को मझवार में गिना जाए। इस संबंध में केंद्र सरकार ने वर्ष 1951 में भी सभी राज्यों को सात जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने की अधिसूचना भेजी थी। इसमें मझवार, गोंड, तुरया, खरवार, बेलदार, खरोट, कोली जातियां थीं। वहीं 31 दिसंबर 2016 को तत्कालीन सरकार ने उप्र लोकसेवा अनुसूचित जाति, जनजाति व पिछड़े वर्गों के आरक्षण अधिनियम 1994 की धारा 13 में संशोधन कर केवट, मल्लाह और निषाद के अलावा धीवर, बिंद, कहार, कश्यप, भर और राजभर को ओबीसी की श्रेणी से निकाल दिया लेकिन इसे आनलाइन नहीं किया गया। राज्य सरकार ने इस संबंध में महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह से राय मांगी थी। सूत्रों का कहना है कि उन्होंने इसमें कोई विधिक अड़चन न होने की बात कहते हुए रिपोर्ट सरकार को भेज दी है। राघवेंद्र सिंह ने कहा कि रिपोर्ट गोपनीय है। इस संबंध में भाजपा के महामंत्री संगठन सुनील बंसल से भी लखनऊ में मंथन हो चुका है।

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