देवरिया में महापंचायत का आयोजन, कुँवर सिंह निषाद के नारे "आरक्षण नही तो वोट नही" ने बदले नेताओ के सुर ।
खबर के अनुसार उत्तर प्रदेश के आगामी चुनाव में एक बड़ा मुद्दा खड़ा हो गया है और वो है सत्रह जातियों का आरक्षण का मुद्दा ऐसा लगता है कि तमाम मुद्दों की जगह अब केवल आरक्षण ने ले ली है कश्यप निषाद तथा बिंद समाज के लोग लगातार आरक्षण की मांग कर रहे है पूरे उत्तर प्रदेश में आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन हो रहे है जगह जगह बैठकों तथा सभाओं का आयोजन किया जा रहा है आपको बताते चलें कि कुँवर सिंह निषाद ने कश्यप निषाद बिंद आरक्षण अधिकार यात्रा के दौरान आरक्षण नही तो वोट नही का नारा दिया था जो उत्तर प्रदेश में अब एक क्रांति बन चुका है कुँवर सिंह निषाद ने प्रयागराज के संगम तट पर कश्यप निषाद तथा बिंद समाज के लोगो को संकल्प दिलाया था जिसमे समाज के लोगो ने ये संकल्प लिया था कि अगर 2022 के चुनाव से पहले आरक्षण नही मिला तो इस बार आरक्षण का झूठा वादा करने वाली पार्टी को वोट नही देंगे कुँवर सिंह निषाद के इस संकल्प ने भाजपा तथा उसके सहयोगी दलों की नींद उड़ा रक्खी है ये कुँवर सिंह निषाद के द्वारा दिये गए नारे आरक्षण नही तो वोट नही का ही असर है कि अब उत्तर प्रदेश में कश्यप निषाद बिंद समाज के आरक्षण की मांग तेज हो गई है इसी बात से प्रभावित हो कर वीआईपी पार्टी को ये नारा देना पड़ा कि आरक्षण नही तो गठबंधन नही ।
यही नही कुँवर सिंह निषाद के कारण ही निषाद पार्टी के मुखिया को खून से पत्र लिख कर आरक्षण की मांग करनी पड़ी कुंवर सिंह निषाद द्वारा सुलगाई गई एक चिंगारी आज मशाल बन चुकी है सहारनपुर, मेरठ, आरक्षण की मांग को लेकर कश्यप समाज के दो बड़े कार्यक्रम हो चुके है तथा कल 19 सितंबर 2021 को महापंचायत का आयोजन किया जा रहा है इस कार्यक्रम को कुँवर सिंह निषाद के संगठन सर्वदलीय कश्यप निषाद यूनियन की तरफ से आयोजित किया जा रहा है ।
अपने क्रांतिकारी विचारों से कुँवर सिंह निषाद आगामी उत्तर प्रदेश के चुनाव में भाजपा की नैया डुबा सकते है अगर ऐसा हुआ तो निषाद पार्टी को भी बड़ा झटका लग सकता है क्यों कि निषाद पार्टी भाजपा की सहयोगी पार्टी है कुँवर सिंह निषाद के आंदोलन के बाद वीआईपी पार्टी तथा निषाद पार्टी ने आरक्षण की मांग को तेज कर दिया है लेकिन ये अपने आप नही हो रहा है इसके पीछे कुँवर सिंह निषाद के आरक्षण नही तो वोट नही के नारे की शक्ति है तथा संगम तट पर लिए गए संकल्प का असर है जिसने निषाद पार्टी को चुनाव से पहले आरक्षण मांगने पर मजबूर का दिया है क्यों कि इससे पहले डॉक्टर संजय निषाद कहते हुए सुने गए थे की "सरकार में आने के बाद पहली केबिनेट की बैठक में हम आरक्षण लागू करवाएंगे" यानी चुनाव से पहले आरक्षण लागू करना जरूरी नही था लेकिन कुँवर सिंह निषाद को भारी समर्थन मिलता देख निषाद पार्टी के भी सुर बदल चुके है लेकिन आपको बताते चलें कि आरक्षण की मांग को लेकर वीआईपी पार्टी ने सख्त तेवर अपनाए हुए है पार्टी ने साफ कर दिया है कि अगर आगामी चुनाव से पहले आरक्षण नही मिला तो वीआईपी पार्टी गठबंधन नही करने वाली है ।वीआईपी पार्टी लगातार आरक्षण की मांग को लेकर भाजपा पर निशाना साध रही है लेकिन देखने वाली बात ये है कि बिहार में वीआईपी पार्टी सरकार में है उसके बावजूद बिहार में आरक्षण का मुद्दा लटका हुआ है । निषाद पार्टी के मुखिया का स्टिंग सामने आने के बाद वीआईपी पार्टी की लोकप्रियता में इजाफा हुआ है स्टिंग के बाद निषाद पार्टी के कार्यकर्ता वीआईपी पार्टी में शामिल हो चुके है लेकिन बड़ी बात ये है कि निषाद समाज अपने नेता को सरकार में देखना चाहता है चाहे वो वीआईपी पार्टी हो या निषाद पार्टी लेकिन कुँवर सिंह निषाद के भारी समर्थन को देख कर इन दोनों पार्टियों के सुर बदलने लगे है तथा चुनाव से पहले आरक्षण की मांग तेज हो चुकी है अब देखना है कि कल रुद्रपुर देवरिया में होने वाली महापंचायत में क्या फैसला होने वाला है ?
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