रेलवे उम्मीद मेडिकल कार्ड से कितनी उम्मीद ? सुनिए रिटायर्ड रेलवे कर्मचारी अजय नाथ झा का दर्द ।
उत्तरपूर्वी दिल्ली - ये खबर आपको सोचने पर मज़बूर कर देगी की कैसे एक इंसान उम्मीदों के नाम पर दर-दर भटक जाता है ।
"रेलवे उम्मीद मेडिकल कार्ड से कितनी उम्मीद"
रेलवे के रिटायर्ड कर्मचारी अजय नाथ झा ने सुनाया अपना दर्द हम इसे प्रकाशित कर रहे है जिससे प्रशासन इस दर्द को महसूस करके सजग हो सके क्यों कि ये दर्द केवल एक अजय नाथ झा का नही है ना जाने ऐसे कितने ही कर्मचारी होंगे जिनको इस समस्या से रूबरू होना पड़ा होगा । आप पढ़िए की अजय नाथ झा ने क्या लिखा ।
रेलवे कर्मचारी और 'उम्मीद मेडिकल कार्ड'
महोदय,
मैं, अजय नाथ झा' उत्तर रेलवे के नयी दिल्ली आई आर सी ए रिजर्वेशन औफिस, से रिटायर्ड आरक्षण प्रयवेक्षक हूं, भारत सरकार ने हमारी सुविधा के लिए उम्मीद मेडिकल कार्ड निकाला जिससे हम किसी भी निजी अस्पताल में इलाज करवा सकते हैं परन्तु शहादरा रेलवे डिस्पेंसरी जहां मेरा और मेरी पत्नी का इलाज तकरीबन बीस वर्षों से चल रहा है, मैं स्वयं हाई ब्लडप्रेशर का मरीज हूं और मेरी पत्नी हार्ट पेशेंट, शुगर और हाईब्लड प्रेशर की मरीज है और हमें हर महीने डिस्पेंसरी से दवा लेनी पड़ती है, लेकिन पिछले सात दिसंबर को जब हम दवा लेने गए तो हमें डिस्पेंसरी के डाक्टर ने कहा कि अब हमें बिना "उम्मीद कार्ड" के दवा नहीं मिलेगी, उम्मीद मेडिकल कार्ड बनवाने को मैं स्वयं रेलवे सैंट्रल अस्पताल में गया और सारा खानापूर्ति के बाद मुझे कहा गया कि पांच-छह दिन बाद किसी भी साइबर कैफे से प्रिंट निकलवा लेना, लेकिन अब चार महीने बीत चुके हैं और हमारा कार्ड नहीं बन सका है, जबकि यह उम्मीद मेडिकल कार्ड बनवाना हमारी इच्छा पर निर्भर है कि हम प्राईवेट अस्पताल में इलाज करवाना चाहते हैं या नहीं फिर डाक्टर का दवा देने से मना करना कहां तक उचित है? कृपया यदि सम्भव हो तो इसे प्रकाशित करने की कृपा करें।
अब आप ये समझ सकते है कि सरकार योजनाएं लाती है लेकिन वो योजनाएं धरातल पर कितना सफल हो पाती है ये घटना उसकी बानगी भर है । सरकार को इस ओर भी ध्यान देने की जरूरत है । और इस उम्मीद कार्ड की प्रक्रिया को और आसान बनाने की जरूरत है जिससे आसानी से इस योजना का लाभ उठाया जा सकें ।
Comments
Post a Comment