जोधपुर के नेचर वॉरिअर नरेंद्र सिंह सोढा ग्रीन सोसाइटी व स्ट्रैटेजिक पार्टनर रूटस्किल्स द्वारा "ग्रीन इंडिया खिताब" से सम्मानित
जोधपुर राजस्थान के रहने वाले नेचर वॉरिअर नरेंद्र सिंह सोढा को ग्रीन सोसाइटी और स्ट्रैटेजिक पार्टनर रूटस्किल्स द्वारा "ग्रीन इंडिया खिताब" से सम्मान।
ग्रीन इंडिया अभियान के तहत सम्मानित हुए नरेंद्र सिंह सोडा अपने बच्चों को पेड़ लगाना सिखाकर पर्यावरण को बचाने के लिए प्रोत्साहित करते रहे हैं। इस फादर्स डे पर हम उन्हें और उन शिक्षाओं को सलाम करते हैं जो वह एक जिम्मेदार वैश्विक नागरिक के रूप में प्रदान करते रहे हैं।
पर्यावरण के क्षेत्र में विशेष योगदान देने के लिए जमीनी स्तर पर कार्यरत पर्यावरणविद् नरेंद्र सिंह सोढा को पिछले दिनों दिल्ली के प्रगति मैदान आयोजित वर्ल्ड एनवायरमेंट एक्सपो के मौके पर ग्रीन इंडिया सम्मान से सम्मानित किया गया। यह कार्यक्रम पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, यूनाटेड नेशंस एनवायरमेंट प्रोग्राम के सहयोग से आयोजित किया गया था। स्ट्रैटेजिक पार्टनर रुटस्किल्स की संस्थापिका,पर्यावरणविद व ग्रीन इण्डिया सोसाइटी की सलाहकार श्रीमती भाविशा बुद्धदेव ने जानकारी दी कि विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर 4 जून से 6 जून तक प्रगति मैदान नई दिल्ली में पर्यावरण पर विश्व सम्मलेन, स्वच्छ ऊर्जा और नई तकनीक पर अन्तर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी के साथ-साथ ऑल इंडिया मेयर व आर डब्लू ऐ (कोरवा) का शिखर सम्मलेन आयोजित किया गया।
नरेंद्र सिंह सोढ़ा का विशेष योगदान, जोधपुर राजस्थान में प्रदूषित कायलाना झील की सफाई व संरक्षण में प्रयासरत हैं। नरेंद्र युवाओं व स्थानीय निवासियों को भी इन गतिविधियों में योगदान देने के लिये प्रेरित करते हैं।
स्थानीय निवासियों व अन्य लोगों को प्रेरित करने के लिए नरेंद्र जी ने "प्रकृति योद्धा"(स्व-वित्त पोषण समूह) के नाम से एक समूह बनाया तथा सभी के सहयोग से स्थानीय झील की सफाई का कार्य आरम्भ किया। झील से प्लास्टिक,कपड़े, भगवान की मूर्तियां और कई अपशिष्ट सामग्रियाँ निकालीं गयीं।
नरेंद्र जी के नेतृत्व में यह समूह न सिर्फ पर्यावरण की सफाई कर रहा है बल्कि जरूरतमंद लोगों की भी मदद कर रहा है। अनेक त्योहारों के समय नरेंद्र जी स्वयं अपने समूह के साथ बस्तियों व अन्य पिछड़े क्षेत्रों में जाते हैं तथा वहां रह रहे लोगों को इको-फ्रेंडली तरीके से बनीं मोमबत्तियां, मिठाई और कपड़े वितरित करते हैं।
नरेंद्र सोढा के नेतृत्व में अनेक स्वयंसेवकों व उनके समूह ने मीठा-नाडी तालाब,उम्मेद सागर झील,बिजोली-तालाब,गोरेश्वर महादेव तालाब और जोधपुर व उसके आसपास के कई अन्य इलाकों की साफ़-सफाई की है। ये सभी तालाब कई साल पहले बत्तखों से भरे रहते थे लेकिन तालाब के पानी के प्रदूषित होने के कारण इन बत्तखों की संख्या काफी कम हो गई है और अनेकों बार प्रदूषित पानी में विचरण करने के कारण ये बत्तखें बीमार भी पड़ जातीं थीं।गोरेश्वर महादेव तालाब की साफ़-सफाई के बाद अब यह तालाब फिर से बत्तखों से भर गया है तथा यह तालाब अब जोधपुर का एक बहुत ही प्रसिद्ध केंद्र बन गया है।
नरेंद्र जी न केवल तालाबों व झीलों की साफ़-सफाई का कार्य कर रहे हैं अपितु अपने आस-पास के क्षेत्रों में वृक्षारोपण का कार्य भी कर रहे हैं।
नरेंद्र जी पर्यावरण के संरक्षण के साथ-साथ कई पशु बचाव संगठनों के साथ भी कार्यरत हैं। डॉग होम फाउंडेशन,पुकार व पशु प्रेमी जैसी संस्थाओं के साथ जुड़ कर पशु सेवा भी कर रहे हैं।
अपनी व्यक्तिगत रूचि व दयाभाव के कारण व तालाबों में बत्तखों का संरक्षण व अनेक पशु-पक्षियों के बचाव का कार्य कर समाज की सहायता कर रहे हैं। वह पक्षियों के लिये पेड़ों पर नेस्ट या घोसलों आदि का निर्माण कर पक्षियों को आसरा प्रदान करते हैं। गर्मियों के दौरान जंगल में तालाब व पानी के अन्य स्रोत बहुधा सूख जाते हैं और इस समस्या के समाधान हेतु नरेंद्र जी ने क्षेत्र में रहने वाले अनेक पशु-पक्षियों के लिये एक तालाब बनाना शुरू कर दिया इस प्रकार वह पशु-पक्षियों के लिये पानी के इंतजाम का प्रयास करते हैं।
भाविशा जी ने बताया कि इस आयोजित कार्यक्रम में उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह, आंध्रा सरकार के सलाहकार, GAIN के निर्देशक, DMRC के निर्देशक, ISA के महानिर्देशक, गुजरात सरकार के तकनीकी सलाहकार, झांसी मंडल के आयुक्त, विभिन्न मंत्रालयों के संयुक्त सचिव व 12 से अधिक म्युनिसिपल कोरपोरेशन के महापौर आदि भाग लिया।, इस अवसर पर पर्यावरण के क्षेत्र में, जल संरक्षण के क्षेत्र में, प्रदूषण नियंत्रण के क्षेत्र में व कम्पोस्टिंगआदि के क्षेत्र में उच्चतम प्रदर्शन करने वाले सभी लोगों को भी ग्रीन इण्डिया अवार्ड से सम्मानित किया।
सभी पुरस्कार विजेताओं एवम आयोजकों को औद्योगिक भागीदार रूट्सइंजीनियस औद्योगिक सर्विस व हरित उपहार पी डी एस इंटरनेशनल की तरफ से बहुत-बहुत शुभकामनाएं दी गई।
रिपोर्ट- सुनित नरूला
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