भारत में पहली बार सफेद दाग के मरीजों और डॉक्टरों ने मिलकर मनाया "वर्ल्ड विटिलिगो डे"

दिल्ली- भारतवर्ष में लगभग 2 प्रतिशत लोग सफेद दाग से पीड़ित है। एक अध्ययन के अनुसार बहुत सारे मरीज उचित चिकित्सा ना मिलने के कारण इस समस्या से आजीवन जूझते रहते हैं, लगभग 30 प्रतिशत लोगों में उनकी आदतों के कारण, 25 प्रतिशत लोगों में गलत खान-पान के कारण, 21 प्रतिशत लोगों में असंतुलित मानोस्तिथि और अन्यों में वातावरण, सफेद दाग के प्रमुख कारण है। इसके कारण रोगियों को गंभीर पारिवारिक और सामाजिक दबाव का सामना करना पड़ता है, उन्हें दोस्त बनाने में, नौकरी पाने में, शादी करने में, छोटे कपड़े पहनकर बाहर जानें में और किसी  कार्येक्रम में जाने में भी बहुत असहजता का सामना करना पड़ता है।
सफेद दाग के कारण रोगी गंभीर मानसिक तनाव से गुजरते हैं, जिस को ध्यान में रखते हुए एमिल हेल्थकेयर एंड रिसर्च सेंटर की डायरेक्टर डॉक्टर नितिका कोहली द्वारा एक बहुत ही सराहनीय कदम उठाया गया और एक अत्यंत विशेष तरीके से "वर्ल्ड विटिलिगो डे" को विटिलिगो विकिंग्स फेस्टिवल के रूप में मनाया। 
यह भारतवर्ष में होने वाला अपने आप में एक अनूठा एवं पहला कार्यक्रम था जिसमें डॉक्टरों के साथ-साथ बहुत सारे सफेद दाग के रोगियों ने भी हिस्सा लिया और यह साबित किया कि सफेद दाग के रोगी वो हर काम कर सकते हैं जो कोई भी स्वस्थ व्यक्ति कर सकता है। इस कार्यक्रम में सभी प्रतिभागी सिर्फ और सिर्फ सफेद दाग के रोगी थे और वहां बैठे सभी डॉक्टरों और अतिथियों ने उनको प्रोत्साहित किया, जो कि शायद अपने आप में एक इतिहास लिखा गया है।
 इस सफेद दाग रोगियों पर केंद्रित विशेष कार्यक्रम "विटिलिगो विकिंग्स फेस्टिवल" में सभी प्रतिभागियों ने बढ़ चढ़कर अनेक-अनेक गतिविधियों में हिस्सा लिया जैसे की फैशन शो में और कुछ प्रतिभागियों ने डांस, सिंगिंग अथवा अन्य टैलेंट दिखाएं और साबित किया कि वह किसी से कम नहीं है. 
इस कार्यक्रम में उपस्थित सभी रोगियों, डॉक्टरों एवं अन्य अतिथियों को 100 से भी ज्यादा अधिक विटिलिगो के अनुकूल  व्यंजन परोसे गए जो साबित करता है कि आहार के अंदर बहुत सारे बंधन होने के बावजूद भी सफेद दाग के मरीज अत्यंत पौष्टिक, लाभकारी एवं स्वादिष्ट भोजन का आनंद ले सकते हैं।
डॉक्टर नितिका कोहली ने कहा कि यह कार्यक्रम वो अपने उन सभी मरीजों के लिए कर रही हैं जो सफेद दाग और सामाजिक दबाव के कारण अपने जीवन में नकारात्मक विचारों से जूझ रहे हैं, ताकि वह अपने अंदर बदलाव लाकर जीवन को स्वस्थ लोगों की तरह जी सकें। डॉ नितिका कोहली की यह सोच साबित करती है कि डॉक्टर अपने मरीजों के साथ एक विशेष प्रकार का रिश्ता बना कर ना कि सिर्फ बीमारी से लड़ने में मदद कर सकता है बल्कि उस से जुड़ी सामाजिक कुरीतियों को भी खत्म करने में मदद करता है।

डॉ नितिका कोहली का एमिल हैल्थकरे एंड रिसर्च सेन्टर और DRDO के वैज्ञानिकों के प्रयत्नों से सफेद दाग के इलाज को संभव बनाया और पिछले 10 वर्षों में सफेद दाग के लाखों रोगी लाभान्वित हो चुके हैं। आज उनकी डॉक्टरों की टीम पूरे भारतवर्ष में काम कर रही है और रोगियों को पूर्ण चिकित्सा लाभ प्रदान कर रही है।

अपने अथक प्रयासों से डॉ नितिका कोहली ने साबित किया है कि सफेद दाग कोई छुआछूत की बीमारी नहीं है, इन रोगियों के साथ बिना डरे रहा जा सकता है, खाया जा सकता है, और खेला भी जा सकता है ,जोकि ना सिर्फ इन रोगियों की हिम्मत बढ़ाएगा बल्कि पूरे समाज में एक संदेश देगा कि ऐसे रोगियों के साथ किसी भी प्रकार के भेदभाव की आवश्यकता नहीं है।

रिपोर्ट- सुनित नरूला

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