रामचरित मानस को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित किए जाने की मांग हुई तेज समर्थन में आए कई संगठन
नई दिल्ली:- जानी मानी समाजसेविका एवम राष्ट्रीय प्रभारी श्री रामचरितमानस हस्ताक्षर अभियान अर्चना उपाध्याय ने देश भर में शंखनाद सा भर दिया है।
उत्तरप्रदेश के लखनऊ में एक भव्य रैली के साथ एक सफल बैठक आयोजित कर नितिन उपाध्याय ने सनातन संस्कृति को प्रदर्शित करने वाले ग्रंथ रामचरितमानस को योगी की नगरी उत्तरप्रदेश सहित विभिन्न क्षेत्रों में श्री कामतानाथ पीठ के पीठाधीश्वर पूज्य संत श्री मदन गोपाल दास के संरक्षण मैं चित्रकूट धाम से शुरू कर गोस्वामी तुलसीदास की जन्म भूमि राजापुर एवं लखनऊ में संगोष्ठी कर चुके हैं जाकर लोगो को जागरूक कर हस्ताक्षर अभियान शुरू कर दिया है। जिसके समर्थन में कई हिंदूवादी संगठन एवम ब्राम्हण संगठनों ने उन्हे समर्थन दिया। पत्रकार द्वारा पूछे जाने वाले प्रश्न पर नितिन उपाध्याय कहते है। आजकल जिसे देखो वह रामचरितमानस जो की सनातनीयों की आस्था का प्रमुख केंद्र है उसपर विवादित टिप्पणी ही नही अपितु जगह जगह रामचरितमानस के जलाने की खबरे सामने आती रहती है। जो की अत्यंत शर्मिंदगी का विषय है। जिसे सुनकर मेरी आत्मा बहुत आहत होती है। इसलिए आगामी भविष्य में हमारी आने वाली पीढ़ी के संजोय रखने के लिए यह अत्यंत आवश्यक है।उन्होंने कहा की हमारे शास्त्रों-पुराणों में ऐसा कुछ नहीं लिखा है, जिसे गलत कहा जा सके। इनके साथ न तो छेड़छाड़ होनी चाहिए, न ही कोई विवाद होना चाहिए। रामचरित मानस ये हमें बताती है कि हमारा जीवन कैसा होना चाहिए। हमारे आदर्श कैसे होने चाहिए, हमारा समाज कैसा होना चाहिए, बल्कि वह यहां तक बताती है कि दुश्मनी कैसे की जानी चाहिए। दुश्मनी की भी एक मर्यादा होती है।इसलिए रामचरित मानस से अच्छा तो कुछ है ही नहीं। रामचरित मानस की ‘ढोर, गंवार, शूद्र, पशु, नारी ...’ वाली चौपाई को लेकर कहा कि कई बार लोग शाब्दिक अर्थ पर चले जाते हैं, हमें उसका भावार्थ समझना चाहिए। जितने भी कथाकार, लेखक आदि हुए हैं, उनकी बातों को भावार्थ से समझा जाना चाहिए। जिस समय में वह लिखा गया, उस समय के अनुसार भावार्थ को समझना चाहिए। इस मुहिम में उनकी पत्नी अर्चना उपाध्याय उनका कंधे से कंधा मिलाके साथ दे रही है । उन्होंने कहा की मै रोज सुबह शाम रामचरित मानस का पाठ करती हूं। एवम अपने बच्चो को भी सुनाती हु। उन्होंने कहा की ऐसा सभी घरों में करने मात्र से ही कई प्रकार के सकारात्मक बदलाव आप स्वयं देख सकते है।
रिपोर्ट- सुनीत नरूला
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